तीरथ सिंह रावत कौन हैं जो बने उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री
तीरथ सिंह रावत 2000 में उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे. इसके बाद साल 2007 में उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए थे.
उत्तराखंड में पिछले चार दिनों से जारी राजनीतिक गहमागहमी के बाद 10 मार्च 2021 को बीजेपी सांसद तीरथ सिंह रावत राज्य के 10वें मुख्यमंत्री बन गए. शाम 4 बजे राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें सीएम पद की शपथ दिलाई. इससे पहले विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों ने तीरथ सिंह रावत को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना.
शपथ ग्रहण समारोह में सरकार के मंत्री समेत अनेक बड़े नेता उपस्थित रहे. उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में रावत को सिर्फ एक साल का कार्यकाल मिलेगा. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीएम पद का शपथ लेने के बाद तीरथ सिंह रावत को बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया- 'उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई. उनके पास लंबा प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव है. मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में राज्य प्रगति की नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा.
तीरथ सिंह रावत कौन है?
तीरथ सिंह रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के असवालस्यूं के सीरों गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम कलम सिंह रावत है. वे साल 1997 में यूपी से विधायक चुने गए थे. तब यूपी-उत्तराखंड का बंटवारा नहीं हुआ था.
वे छात्र राजनीति से ही सक्रिय रहे हैं. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. जनपद पौड़ी से वे उत्तराखंड के पांचवें सीएम बने हैं.
तीरथ सिंह रावत 2000 में उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे. इसके बाद साल 2007 में उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए थे. यह उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. वे फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे.
वर्तमान में वे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव के साथ साथ गढ़वाल लोकसभा से सांसद भी हैं. पौड़ी सीट से भाजपा के उम्मीदवार के अतिरिक्त 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था.
उन्होंने पौड़ी सीट से 17वें लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी बनाए गए थे, जिसमें वे भारी मतों से विजयी हुए थे. इन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी को ढाई लाख से अधिक मतों से हराया था.
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